प्रतीकात्मक तस्वीर

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आपरेशन के दौरान मरीज के पेट में स्पंज व कॉटन का बंडल छोड़ देना सेवा में बरती गई घोर लापरवाही दर्शाता है। इसके लिए सहारा हास्पिटल प्रबंधन व सर्जरी करने वाली चिकित्सक डॉ. अंजली सोमानी को संयुक्त अथवा अलग-अलग तौर पर 80 लाख का हर्जाना पीड़िता को चुकाना होगा। यह आदेश राज्य उपभोक्ता आयोग के न्यायिक सदस्य राजेंद्र सिंह व विकास सक्सेना की पीठ ने दिया।

पीठ ने अपने आदेश में कहा कि क्षतिपूर्ति की देय धनराशि 45 दिनों में 24 सितंबर 2013 से 10 प्रतिशत वार्षिक की दर से साधारण ब्याज को जोड़ते हुए चुकाई जाए। प्रस्तुत वाद में पीड़ित शिव शंकर ने पत्नी सुमेना त्रिपाठी को 18 सितंबर 2013 को बच्चे की डिलीवरी के लिए गोमती नगर स्थित सहारा हास्पिटल में भर्ती कराया था। जहां डॉ. अंजली सोमानी ने उसकी प्रसव सर्जरी से कराई। बच्चे के जन्म के बाद 10 अक्तूबर को उसे घर भेज दिया गया। इसके लगभग चार-पांच माह बाद सुमेना के पेट में भयंकर दर्द रहने लगा। उसे इलाज के लिए कई डॉक्टरों को दिखा गया। जांच कराने पर मालूम पड़ा कि डिलीवरी के समय हुई सर्जरी के दौरान उसके पेट में स्पंज व कॉटन का एक बंडल छूट गया, जो अंदर ही अंदर सड़ गया है। इसका इलाज करने के दौरान उसकी ऑत तक काटनी पड़ी।

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सर्जन ने बाद में एब्डोमिनल वाल में ऑपरेशन करके बड़ी आंत के एक सिरे को मलद्वार के लिए एक बड़ा थैला अन्दर ही अन्दर बनाकर उसमें लगाया। इस दौरान चार माह तक पीड़िता के कैथेटर भी लगा लगा रहा। इस लापरवाही की क्षतिपूर्ति के लिए पति शिव शंकर ने सहारा अस्पताल प्रबंधन व सर्जरी करने वाली डॉ. सोमनी के खिलाफ राज्य उपभोक्ता आयोग में हर्जाना वाद प्रस्तुत किया। वाद से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर सुनवाई के बाद आयोग की न्यायिक पीठ ने पाया कि सहारा अस्पताल द्वारा सेवा में कमी बरती गई है।

सर्जरी के दौरान बरती गई घोर लापरवाही के कारण ही सुमेना त्रिपाठी के पेट में स्पंज व कॉटन का बंडल छूट गया। इस लिए अस्पताल प्रबंधन व सर्जरी करने वाली चिकित्सक को पीड़िता व उसके परिवार को हुई मानसिक यंत्रणा, अवसाद व अन्य परेशानी का जिम्मेदार मानते हुए ब्याज के साथ 80 लाख रुपये की हर्जाना राशि चुकाने का आदेश दिया जाता है। निर्देश में कहा गया है कि यदि उक्त धनराशि का भुगतान 45 दिन की समयावधि में नहीं किया गया तो देय राशि पर 15 प्रतिशत वार्षिक की दर से साधारण ब्याज चुकाना होगा।



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