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सपा की प्रदेश कार्यकारिणी और फ्रंटल संगठनों का कलेवर बदलेगा। कार्यकारिणी में सदस्यों की संख्या भी बढ़ेगी। पार्टी की नीतियों को लेकर निरंतर संघर्षशील रहने वाले नेताओं को अहम जिम्मेदारी दी जाएगी। तो फ्रंटल संगठनों के पदाधिकारियों की जिम्मेदारी में बदलाव की भी तैयारी है। इसे लेकर दो दौर की कसरत हो चुकी हैं। कुछ नए नामों पर विचार किया जा रहा है।

सपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में भले ही कोई खास बदलाव नहीं किया गया लेकिन प्रदेश कार्यकारिणी में बदलाव दिखेगा। इसमें राष्ट्रीय महासचिव शिवपाल सिंह यादव की भी छाप नजर आएगी। उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने वाले कुछ लोगों को भी प्रदेश कार्यकारिणी में जगह मिलनी है। संबंधित नाम पर विचार-विमर्श चल रहा है।

पिछली प्रदेश कार्यकारिणी में प्रमुख महासचिव के अलावा दो महासचिव बनाए गए थे। इस बार पांच महासचिव पर विचार चल रहा है। इसी तरह सचिव पद भी बढ़ सकता है। पार्टी में बसपा से नाता तोड़कर आने वाले नेताओं को समायोजित किया जाएगा। 

अंबेडकर वाहिनी में उन दलित नेताओं को जिम्मेदारी सौंपी जाएगी, जो दलितों के बीच में प्रभावी तरीके से अपनी बात रख सकें। सपा प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल का कहना है कि संघर्षशील नेताओं को अहम जिम्मेदारी दी जाएगी। राष्ट्रीय अध्यक्ष के अनुमोदन के बाद जल्द ही कार्यकारिणी की घोषणा कर दी जाएगी। इसमें हर वर्ग और हर क्षेत्र के लोगों की भागीदारी रहेगी।

 



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