प्रतीकात्मक तस्वीर

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उत्तर प्रदेश सरकार लगातार बीज वितरण तो बढ़ा रही है पर खाद्यान्न का उत्पादन लक्ष्य से कम होता जा रहा है। पिछले कई सालों से चल रहे इस क्रम का अहम कारण मौसम के प्रतिकूल मिजाज को माना जा रहा है। इस बार फिर समय से पहले गर्मी शुरू होने के कारण गेहूं की फसल पर संकट मंडरा रहा है। कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि दिन में तेज गर्मी हो रही है, जो सभी फसलों और खास तौर पर गेहूं के लिए सही नहीं है।

सरकार फसलों के उत्पादन को लेकर पूरी मशक्कत कर रही है। लगातार बीज वितरण किया जा रहा है। इस सत्र की शुरुआत में मौसम बिगड़ा तो दलहन और तिलहन का बीज निशुल्क बांटा गया। इसके अलावा मुख्य खाद्यान्न जैसे गेहूं और चावल का उत्पादन बढ़ाने पर सबसे ज्यादा जोर है। इन सब कवायदों के बाद भी मौसम के बदलते तेवरों से लक्ष्य से ज्यादा बीज वितरण करने के बावजूद उत्पादन गिरता जा रहा है। वर्ष 2020-2021 के पूरे खरीफ सीजन के बीज वितरण पर नजर डालें तो 8.20 लाख क्विंटल बीज बांटने का लक्ष्य रखा गया था। इसके सापेक्ष 8.36 लाख मीट्रिक टन बीज का वितरण किया गया।

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वर्ष 2021-22 में 8.39 लाख मीट्रिक टन के सापेक्ष 8.41 लाख मीट्रिक टन, जबकि वर्ष 2022-2023 में 8.86 के सापेक्ष 8.63 लाख मीट्रिक टन बीज का वितरण किया गया। बावजूद इनके इन्हीं सालों में खरीफ फसलों का उत्पादन क्रमश: 222 लाख मीट्रिक टन के सापेक्ष 214 लाख मीट्रिक टन, 221 के सापेक्ष 199 तथा 236 के सापेक्ष मात्र 192 लाख मीट्रिक टन ही हो पाया। रबी सीजन में भी बीज वितरण बढ़ा, पर उत्पादन वर्ष 2021-22 में 471 लाख मीट्रिक टन के सापेक्ष 401, जबकि वर्ष 2022-2023 में 418 के सापेक्ष 392 लाख मीट्रिक टन का उत्पादन हुआ। फिलहाल इस साल का लक्ष्य 421 लाख मीट्रिक टन रखा गया है।

फिर भी उम्मीद: कृषि वैज्ञानिक डॉ. संदीप चौधरी ने बताया कि मौसम की मार लगातार किसानों पर भारी पड़ रही है। पिछले कई सालों से ऐसा हो रहा है। जब फसल पकने पर आती है तो मौसम खराब होता है। कभी बारिश तो कभी सूखा। इस बार गर्मी समय से पहले शुरू हो गई। जो गेहूं का उत्पादन प्रभावित कर सकती है। गेहूं कमजोर होने की पूरी आशंका है। कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही का कहना है कि उत्पादन बढ़ाने का पूरा प्रयास है। जब-जब किसान को नुकसान हुआ तो सरकार ने भरपाई की। मौसम जरूर गड़बड़ रहा पर उम्मीद है कि अच्छा उत्पादन होगा।



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