रायबरेली। जिले में लगे राजकीय नलकूपों की हालत खराब है। कई राजकीय नलकूप चल तो रहे हैं, लेकिन उनकी पाइप लाइनें और नालियां ध्वस्त हैं। इस वजह से खेतों तक पानी नहीं पहुंच रहा है। विभाग कागजों पर सिंचाई का रकबा दर्ज कर रहा है। विभागीय अभियंताओं की मनमानी का खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ रहा है। नालियों की मरम्मत और नलकूपों के मेंटेनेंस के लिए आने वाले धन का बंदरबांट किया जाता है।
जिले में 374 राजकीय नलकूप हैं। इसमें से 358 नलकूप चल रहे हैं। एक नलकूप से करीब 200 बीघा सिंचाई होनी चाहिए। एक नलकूप के मेंटेनेंस के लिए हर साल 50 हजार रुपये शासन से मिलते हैं। मौजूदा समय में जो नलकूप चल रहे हैं, उनकी नालियां और अंडरग्राउंड पाइप लाइन ध्वस्त हैं। इससे सिर्फ नलकूप के आसपास के खेतों तक ही पानी पहुंचता है।
राही ब्लॉक क्षेत्र के सुलखियापुर ग्राम सभा में नया राजकीय नलकूप लगवाया गया है, लेकिन अब तक उसकी पाइप लाइन नहीं बनाई गई। इससे आसपास के किसान ही सिंचाई कर पाते हैं। जगतपुर के रामगढ़ टिकरिया गांव में लगे राजकीय नलकूप की मोटर निकाल ली गई है, यहां पर दूसरी मोटर नहीं डाली गई है। इससे किसान गेहूं की सिंचाई नहीं कर पा रहे हैं। खीरों ब्लॉक क्षेत्र के मोहनपुर मजरे लोदीपुर गांव में राजकीय नलकूप लगवाया गया है। कुछ दूर नाली बनाई गई। इससे केवल आसपास के किसान ही खेतों की सिंचाई कर पाते हैं।
किसान रामप्रसाद यादव, माताफेर, जियालाल, अशोक कुमार ने बताया कि सरकारी नलकूपों के भरोसे खेती करना संभव नहीं है। मजबूर होकर निजी नलकूपों के सहारे खेती करनी पड़ रही है। वहीं विभाग के अधिकारी व कर्मचारी सिंचाई का पूरा रकबा सिंचित दिखाकर उच्चाधिकारियों को गुमराज करते हैं। उधर, राजकीय नलकूप विभाग के एक्सईएन एके आजाद ने बताया कि समस्या के संबंध में उच्चाधिकारियों को अवगत कराया गया है। नालियों को बनवाने के लिए इस्टीमेट बनाकर भेजा जाएगा। एक नलकूप से जितने रकबे की सिंचाई होती है, उस हिसाब से सिंचाई दर्ज की जाती है।