केजीएमयू

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– फोटो : amar ujala

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गर्भ में पल रहे बच्चों में आनुवंशिक विकारों की जांच अब पहले से बेहतर तरीके से हो सकेगी। इसके लिए किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के पैथोलॉजी विभाग में जेनेटिक लैब बनने जा रही है। लैब के लिए प्रदेश सरकार ने तीन करोड़ रुपये दिए हैं। अब लैब निर्माण की प्रक्रिया शुरू होगी।

विभागाध्यक्ष प्रो. उमा शंकर सिंह ने बताया कि आनुवंशिक बीमारियों की वजह से बच्चे को आजीवन जूझना पड़ता है। इससे गंभीर मानसिक व शारीरिक विकार हो सकते हैं। समय रहते पहचान पर इलाज या गर्भपात दोनों विकल्प मौजूद होते हैं। इसे देखते हुए विभाग में जेनेटिक लैब स्थापित की जा रही है। सब कुछ सामान्य रहा तो अगले तीन से चार माह में लैब काम करना शुरू कर देगी। अभी यह सुविधा एसपीजीआई में ही उपलब्ध है।

केजीएमयू के प्रवक्ता डॉ. सुधीर सिंह के अनुसार यदि घर में किसी बच्चे को आनुवंशिक रोग है तो गर्भस्थ शिशु की जेनेटिक जांच जरूर करानी चाहिए। आमतौर पर मोटापा, पार्किंसन, सिस्टिक फाइब्रोसिस या ऐसी ही अन्य बीमारियां होने पर जेनेटिक टेस्ट कराया जाता है। 24 सप्ताह से पहले इस बीमारी का पता चलने पर गर्भपात कराया जा सकता है।



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