
OP Rajbhar
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भाजपा से नजदीकी बढ़ने की अटकलों के बीच सुभासपा अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर निकाय चुनाव में ही भाजपा को आजमाना चाहते हैं। इसके लिए राजभर पूर्वांचल के कुछ निकायों में अध्यक्ष की सीट पर सुभासपा को चुनाव लड़ाने की रणनीत तैयार कर रहे हैं। माना जा रहा है कि निकाय चुनाव के बहाने ही राजभर लोकसभा चुनाव के मद्देनजर भाजपा से अपने भावी रिश्ते की थाह लेना चाहते हैं।
दरअसल, राष्ट्रपति चुनाव के दौरान राजभर ने जिस तरह से भाजपा के सुर में सुर मिलाया था, उसके बाद से सियासी गलियारों में भाजपा और राजभर के रिश्ते को लेकर कयासबाजी शुरू हो गई थी। विधानमंडल के बजट सत्र में भी राजभर ने जिस तरह से नेता प्रतिपक्ष को कई मुद्दों पर घेरा, उससे भी भाजपा-राजभर के रिश्ते को लेकर हो रही कयासबाजी को बल मिला है। माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव में भाजपा और राजभर एक बार फिर से साथ आ सकते हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि राजभर को 2022 के विधानसभा चुनाव के बाद ही यह समझ में आ गया है कि लंबी पारी खेलने के लिए भाजपा के साथ ही रहना होगा। पिछड़ी जातियों की राजनीति करने वाली सपा में उन्हें भाजपा जितना तवज्जो मिलने से रहा। वे यह भी जानते हैं कि लोकसभा चुनाव में भाजपा को पूर्वी यूपी में गाजीपुर से लेकर गोरखपुर तक बसी राजभर बिरादरी का वोट चाहिए ही होगा।
माना जा रहा है कि मौजूदा सियासी माहौल को देखते हुए राजभर फिर भाजपा के साथ सियासी मैदान में खेलने की इच्छा रखते हैं। इस बार इसकी शुरुआत वह निकाय चुनाव के साथ करना चाहते हैं। इसकी एवज में उनके पास पूर्वांचल के कई जिलों में निर्णायक संख्या में मौजूद तथा छोटे निकायों में उलटफेर करने की हैसियत रखने वाली राजभर बिरादरी का वोट उन सीटों पर भाजपा को दिलाने का प्रस्ताव है, जहां वे नहीं लड़ेंगे ।
राजभर की कोशिश है कि भाजपा के 2024 के लोकसभा चुनाव में राजभर वोटों की जरूरत को देखते हुए उनसे निकाय चुनाव में भी पूर्वांचल के कुछ शहरी इलाकों में समझौते में सीटें ले ली जाएं। इसके पीछे की रणनीति यह बताई जा रही है कि इससे राजभर भाजपा के साथ आगे के भावी सियासी रिश्ते की मजबूती का आकलन करना चाहते हैं। इसके अलावा राजभर की यह भी रणनीति है कि निकाय चुनाव के जरिए पार्टी के बड़ी संख्या में कार्यकर्ताओं की चुनाव लड़ने की राजनीतिक इच्छा पूर्ति करने के साथ ही लोकसभा चुनाव से पहले पार्टी की सियासी जमीन को भी मजबूत बना लिया जाए।
भाजपा से नहीं बनेगी बात तो अकेले लड़ेंगे चुनाव
ओमप्रकाश भी कहते हैं कि अगर भाजपा लोकसभा चुनाव में हमारा साथ चाहती है तो निकाय चुनाव में भी साथ दे सकती है। हालांकि इस संबंध में अभी मेरी भाजपा से कोई बात नहीं हुई है। उनका कहना है कि निकाय चुनाव में कोई साथ नहीं देगा तो हम नगर पालिका परिषद और नगर पंचायतों में अध्यक्ष के एक दर्जन से अधिक सीटों पर अकेले दम पर चुनाव लड़ेंगे।