
सांकेतिक तस्वीर
– फोटो : अमर उजाला
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माफिया अतीक अहमद के भाई अशरफ की हर सुविधा का बरेली जेल में ध्यान रखा जाता था। अतीक को कुत्ते तो अशरफ को बिल्ली पालने का शौक था। जेल में उसकी बिल्ली के लिए खासतौर पर चारा आता था। उसका पान खाने का शौक भी जेल में बरकरार रहा।
बरेली जेल में अशरफ से होने वाली गैरकानूनी मुलाकातों के दौरान गद्दी बिरादरी की पंचायत भी होती थी। ये सारी बातें जेल अफसरों और कर्मचारियों की जानकारी में थी। हालांकि जेल में मोबाइल इस्तेमाल होने के सवाल पर सब साफ मुकर गए।
अशरफ से गैरकानूनी तरीके से लोगों को मिलवाने वाले आरक्षी शिवहरि अवस्थी ने अपने बयान में कहा कि उसे मुलाकात कराने के लिए कभी-कभी 100-200 रुपये मिल जाते थे। वहीं जेल अधिकारियों को मिलने वाले गिफ्ट की उसे कोई जानकारी नहीं थी।
जेल में सब्जियों की आपूर्ति करने वाले दयाराम ने कबूला कि उसे अशरफ का साला सद्दाम बीसलपुर मोड़ पर सामान देता था, जिसे वह जेल के भीतर पहुंचा देता था। इसमें बिल्ली का चारा, कपड़े, नमकीन, बिस्कुट, बीड़ी, पान आदि रहता था। वहीं दयाराम से सामान लेकर अशरफ तक पहुंचाने वाले सिद्धदोष बंदी लालाराम ने कबूला कि सामान पहुंचाने के एवज में अशरफ उसे कभी-कभार बीड़ी आदि दे देता था।