
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ
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यूपी में सत्ताधारी दल पर निकाय चुनाव मामले में आरोप लगाया गया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने प्रदेश में हो रहे सहकारी समितियों के चुनाव में सिर्फ सत्ताधारी दल के प्रत्याशियों को ही नामांकन पत्र उपलब्ध कराने का आरोप लगाते हुए दायर की गई याचिका पर सीतापुर व लखीमपुर खीरी के डीएम को सख्त आदेश देकर शुक्रवार को सवेरे साढ़े ग्यारह बजे रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया है।
कोर्ट ने कहा कि दोनों डीएम बृहस्पतिवार को रात 8 बजे उन याचियों को सुनें जो अपने नामांकन पत्र दाखिल करना चाहते हैं, लेकिन उन्हें संबंधित चुनाव अधिकारी नामांकन पत्र नहीं दे रहे हैं। कोर्ट ने यह भी पूछा है कि वास्तव में कितने नामांकन पत्र दाखिल किए गए और क्या ये सिर्फ सत्ताधारी दल के प्रत्याशियों के हैं?
न्यायमूर्ति संगीता चंद्रा और न्यायमूर्ति मनीष कुमार की खंडपीठ ने बृहस्पतिवार को यह आदेश विनोद कुमार मिश्र व एक अन्य व्यक्ति की याचिका पर दिया। याचियों का कहना था कि मतदान 18 मार्च को होना है। निष्पक्ष चुनाव कराने के बजाय सिर्फ सत्ताधारी दल के प्रत्याशियों को निर्विरोध जितवाने के लिए धांधली की जा रही है। आरोप लगाया कि इसके लिए सत्ताधारी दल के प्रत्याशियों के अलावा अन्य को नामांकन पत्र दिए ही नही जा रहे हैं। ऐसे में इस मामले को अर्जेंट कहते हुए निष्पक्ष चुनाव कराए जाने का आग्रह किया गया।
कोर्ट ने मामले की सुनवाई के लिए बृहस्पतिवार को ही राज्य सरकार व चुनाव आयोग के वकीलों को दोपहर बाद 2:15 बजे पेश होने का आदेश दिया। सुनवाई के बाद उक्त आदेश देकर अगली सुनवाई 17 मार्च को नियत की है।