यूपी सचिवालय

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नौ साल पहले बदमाशों की गोलियों का शिकार हुए वाराणसी के डिप्टी जेलर अनिल त्यागी के परिजनों को आज तक आर्थिक सहायता के तीस लाख रुपये नहीं मिल सके हैं। नौकरशाही के फेर में उनकी अनुग्रह राशि की फाइल आज भी सचिवालय में दबी हुई है। 

ये मामला सरकारी कार्यप्रणाली पर सवाल उठाता है क्योंकि जब अनिल त्यागी के परिजनों को अनुग्रह राशि देने की बारी आई तो फाइल नौकरशाही के भंवरजाल में फंस गई। ऐसे हालात में जेलों में बंद मुख्तार अंसारी, अतीक अहमद और टॉप-10 कुख्यात अपराधियों पर सख्ती करने का जोखिम आखिर कौन उठाएगा?

वाराणसी जेल में बंद कुख्यात अपराधियों पर अंकुश लगाने वाले डिप्टी जेलर अनिल त्यागी को नौ साल पहले 23 नवंबर 2013 को जिम से बाहर निकलते वक्त गोलियों से भून दिया गया था। अनिल त्यागी की हत्या ने पूरे जेल विभाग को झकझोर दिया था। शहीद डिप्टी जेलर के अदम्य साहस के मद्देनजर उनको राष्ट्रपति का वीरता पुरस्कार प्रदान किया गया था। 

तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने उनके परिजनों को बीस लाख रुपये अनुग्रह राशि देने की घोषणा की थी। साथ ही, कर्तव्यपालन के समय आतंकवादी अथवा अराजक तत्वों की गतिविधियों के फलस्वरूप हुई मृत्यु की स्थिति में अतिरिक्त दस लाख रुपये अनुग्रह राशि दी जानी थी। जेल विभाग में अनुग्रह राशि देने का प्रावधान न होने की वजह से शासन ने पुलिस मुख्यालय को अनुग्रह राशि प्रदान करने के निर्देश दिए थे।



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