अपने आवास पर मंत्री ने कहा कि किसानों से बात करने पर पता चला कि कुछ प्रमुख आलू व्यापारी, आढ़ती एवं शीतगृह स्वामी मिलकर आलू की खरीद कम दामों पर कर रहे हैं। वह किसानों के आलू को भंडारित कराने में अवरोध डालने का प्रयास कर रहे हैं। उनका इरादा सस्ती दर पर आलू खरीदकर बाद में महंगा बेचना है पर ऐसा नहीं होने दिया जाएगा।
अभी तक उप्र के शीतगृहों में 45.80 प्रतिशत यानी 74 लाख मीट्रिक टन आलू की भंडारण क्षमता शेष है। सोमवार से फर्रुखाबाद, कौशांबी, उन्नाव, मैनपुरी, एटा, कासगंज तथा बरेली में केंद्रों पर आलू की खरीद की जाएगी। आवश्यकता पड़ने पर अन्य जनपदों में भी खरीद होगी। फिलहाल सरकार 10 लाख मीट्रिक टन आलू खरीदेगी।
यह एमएसपी नहीं, लागत है
मंत्री ने कहा कि कुछ विपक्षी कह रहे हैं कि आलू का दाम दो हजार रुपये प्रति क्विंटल होना चाहिए। बीज के हिसाब से दाम दें। शिमला मिर्च का बीज तो एक लाख रुपये प्रति किलो होता है। तो उसका क्या इतना दाम दिया जा सकता है। वे लोग ऐसा कह रहे हैं जिनक सरकार में आलू सड़कों पर फेंका जाता था। हम ऐसा नहीं होने देंगे। दरअसल 650 रुपये प्रति क्विंटल की दर किसानों को उनकी लागत दी जा रही है ताकि उनका नुकसान न हो। केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान ने यह रकम तय की है। यह न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं एमएसपी यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं है। यह बाजार हस्तक्षेप योजना है।
सौ रुपये प्रति क्विंटल का अनुदान, ऑपरेशन ग्रीन शुरू
मंत्री ने बताया कि यदि अपने जिले में कोल्ड स्टोर में जगह न होने पर किसान को दूसरे जनपद में अपना आलू कोल्ड स्टोर में ले जाना पड़ता है तो सरकार उन्हें 100 रुपये प्रति क्विंटल सहायता राशि देगी। साथ ही ‘आपरेशन ग्रीन योजना’ में आलू के भंडारण एवं विपणन के लिए किसानों, एफपीओ, खाद्य प्रसंस्करणकर्ता, लाइसेंसशुदा कमीशन एजेंट, फुटकर व्यवसायी, सहकारी समितियां, विपणन संघ एवं निर्यातकों को 50 प्रतिशत तक ट्रांसपोर्ट पर अनुदान दिया जाएगा।
इसमें आलू क्लस्टर के 17 जनपद प्रयागराज, बाराबंकी, जौनपुर, फिरोजाबाद, फर्रुखाबाद, मथुरा, कन्नौज, अलीगढ़, मैनपुरी, आगरा, हाथरस, कानपुर नगर, शाहजहांपुर, हरदोई, बदायूं, इटावा, संभल को शामिल किया गया है। इस मौके पर निदेशक उद्यान आरके तोमर, एमडीए हाफेड अंजनीकुमार श्रीवास्तव आदि मौजूद थे।