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उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग ने टैरिफ निर्धारण तौर तरीके विनियम 2022 लागू कर दिया है। यह विनियम लागू करने वाला उत्तर प्रदेश पहला राज्य बन गया है। इसके तहत अब लोक महत्व एवं इमरजेंसी में पावर ट्रांसमिशन कॉरपोरेशन 220 केवी एवं उससे ऊपर के उपकेंद्र का निर्माण खुद कर सकेगा। इसके लिए उसे विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 62 के तहत नियामक आयोग से अनुमति लेनी होगी। अभी तक यह इस पर रोक लगी हुई थी।
केंद्र की ओर से विनियम लागू करने के बाद इसे राज्यों में जारी करने का निर्देश दिया गया था। इस पर 25 जनवरी को आम जनता की सुनवाई हुई। विद्युत नियामक आयोग के चेयरमैन आरपी सिंह व सदस्य बीके श्रीवास्तव ने सभी पक्षों की सुनवाई के बाद अधिसूचना जारी करने का प्रस्ताव सरकार को भेज दिया है। अधिसूचना जारी होते ही यह विमियम लागू करने वाला उत्तर प्रदेश पहला राज्य बन जाएगा।
इसमें यह व्यवस्था दी गई है कि जहां 220 केवी वा उससे ऊपर के उप केंद्रों के लिए पावर ट्रांसमिशन कारपोरेशन लिमिटेड को टैरिफ बेस कंपटेटिव बिडिंग(टीबीसीबी) में जाने के बजाय खुद निर्माण कर सकेंगे। दरअसल जनसुनवाई के दौरान उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने ट्रांसमिशन के अधिकार को लेकर आपत्ति लगाई थी। उन्होंने आयोग में याचिका लगाकर मांग की थी कि ट्रांसमिशन पर 220 केवी या इससे अधिक क्षमता के उपकेंद्र बनाने पर रोक लगने से निजीकरण को बढावा मिलेगा। ट्रांसमिशन का वजूद खत्म हो जाएगा।
बिजली खरीदने से पहले लेनी होगी आयोग की अनुमति
टैरिफ निर्धारण तौर तरीके विनियम 2022 में बिजली कंपनियों पर शिकंजा कसने के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। अब उन्हें महंगे दर पर बिजली खरीदने से पहले नियामक आयोग से अनुमति लेनी होगी और खरीद की वजह बतानी होगी। मालूम हो कि केंद्र सरकार ने विदेशी कोयला एवं गैस आधारित परियोजनाओं के लिए उच्च मूल्य की छूट दी है। कंपनियों को शून्य से 50 रुपया प्रति यूनिट तक बिजली बेचने की छूट दी गई है। लेकिन नियामक आयोग ने नए प्रावधान में स्पष्ट कर दिया है कि बिजली कंपनियां बिना आयोग की अनुमति लिए महंगे दर पर बिजली नहीं खरीद सकेंगी। इसका सीधा फायदा उपभोक्ताओँ को मिलेगा। पिछले दिनों उपभोक्ता परिषद ने इस मामले में भी आयोग के चेयरमैन आरपी सिंह से मुलाकात कर महंगी बिजली खरीदने पर आपत्ति दर्ज कराई थी।
रुका निजीकरण, मिलेगा उपभोक्ताओं को लाभ
परिषद के अध्यक्ष एवं राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने बताया कि आयोग की ओर से विनियम में किए गए प्रावधानों से न सिर्फ निजीकरण रूकेगा बल्कि उपभोक्ताओं को फायदा मिलेग। प्रस्ताव में ट्रांसमिशन को उपकेंद्र बनाने का अधिकार देकर उसे बड़ी राहत दी गई है। अब 220 केवी या उससे ऊपर के उपकेंद्र बनाने के लिए उसे सरकार की संस्तुति और नियामक आयोग से अनुमति लेकर निर्माण करा सकेगा। इसी तरह विदेशी कोयला आधारित परियोजनाओं से बिजली कंपनियां मनमानी तरीके से महंगी बिजली नहीं खरीद पाएंगी। नए प्रावधान में लीलो लाइन सहित महत्वपूर्ण कार्यों के लिए पावर ट्रांसमिशन कारपोरेशन को 100 करोड रूपये तक की लागत वाले निर्माण कार्यों की छूट दी गई है। पावर ट्रांसमिशन काॅरपोरेशन मजबूत होगा। उन्होंने आयोग के चेयरमैन आरपी सिंह व सदस्य बीके श्रीवास्तव के प्रति आभार जताया है।